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मैंने सपना देखा



जापानी काव्य
 विधा-चोंका

शीर्षक-मैंने देखा एक सपना

मैंने देखा है
एक सुंदर सपना
कहते लोग
सच होता भोर का
देखा सपना
सागर में थी नाव
सवार लोग
प्रसन्न थे बहुत
कोई नहीं था
हिन्दू,मुसलमान
ब्राह्मण, शूद्र
अमीर न गरीब
सब समान
नहीं थी नफ़रत
नेता नहीं था
चाटुकारिता नहीं
कोई उदास 
आँख नहीं रो रही
बेटियाँ खुश
डर नहीं आँखों में
भेड़ खाल का
गा रहे सभी जन
गीत प्यार के
एक दूजे का हाथ
पकड़े हुए
खिलखिलाते हुए
नाचते हुए
झूम कर मनाते
जश्न ख़ुशी का
फिज़ा रंगीन
साथ झूम रही थी
देती संदेश
सुख,शांति,खुशी का
सपना टूटा
मन सोचने लगा
 हो पाता सच
भोर में देखा हुआ
 सुंदर सा सपना।

स्नेहलता पाण्डेय'स्नेह'
6/7/21

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3 Comments

Sanjay Ni_ra_la

30-Aug-2021 01:12 AM

लाजवाब बहुत उम्दा

Reply

Swati chourasia

06-Aug-2021 05:51 PM

Very nice

Reply

Author sid

06-Aug-2021 12:29 PM

👍👍👍

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